निबळा साज साथै
निबळा सुर में
साधीजतौ वो सुर
जिणनै सुणण वाळा पण
निबळा कै मनरखु स्रोता
जका देवै कीं निबळी ताळियां
थारा गीत नै।
हे गवैया! क्यूं छेड़ै
वा इज तान
नित
सुरां नै थोपियौड़ा जांण?
बरस बीतगा,
अबै तौ कीं
नुंवा सुर सोध
अबै तौ कीं मन सूं गा
जे थूं चावै सबळी ताळियां
तौ कर मन रौ मेळ
थारै साज अर सुर रै साथै
पछै देख,
मिळै कितरी थनै
गड़गड़ावती ताळियां
जकी थारौ मन राखण सारू नीं
थनै अरथावण सारू बाजैला
नींतर बंद करदै इण तान नै