सौ-सौ जोड़ूं हाथ ये मायड़, लांबां छोड़ू हाथ मायड़।

मत म्हां हिरदो तोड़ ये।

गड़ादै म्हारी मायड़ली, म्हनै अळगोजां री जोड़ ये।

अच्छी म्हारी जरणी थनै सोगन म्हारा दादा री।

तुरत गड़ादे अळगोजा, म्हारे मन मं घणी बगाबा री।

कांकड़ गूंजै घर में गूंजै, गीतां री गुड़दौड़ ये।

गड़ादै म्हारी मायड़ली, म्हनै अळगोजां री जोड़ ये।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मोहन मण्डेला ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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