पैलै जापै सारू पी'रै आयोड़ी बा...

सासू रोजीना निरखती डील नै!

जद सूं होयो पग भारी

मन्नतां मांग-मांग’र

भेळा कर लीन्हीं

मोळी रा डोरियां...

नारेळ साऊं टाळ’र

राख दिया बै

भैरूंजी-भोमियाजी अर

ओसाण राख दिया पितर जी रै

रातै कपड़ै मांय बांध’र

पांच रिपियां!

रोज दिनूगै माळा फेरती

पछै चा पीवंती

आई’ज कैवंती कै-

बीनणी पीळो पोमचो ओढ’र

हालरियै नै लेय’र

रमझम करती आवै

तद म्हारी मानतां पूरीजसी

बांटसूं म्हूं लाडू-खोपरा

थारै खातर भेजसूं

खरी तांत रो पीळौ पोमचो!

म्हारो जमारो सुधर जासी

म्हारो पोतो होवण सूं

म्हारो मान बधसी न्यात मांय

जिमासूं जीव सोरै सूं

माळा फेरती रोजीना...

आज ढाई महीनां होवण आया

हुई है म्हारी नान्ही

अर म्हूं अडीकूं पीळै नै

पण आख्यां पीळी जरूर पड़गी

स्यात् छोरी होवण सूं!

जाणू कै

पीळौ म्हारै पांती नीं आवैला

पण अेक अडीक

मन मांय हाल तांई

करै खदबद!

स्रोत
  • सिरजक : कृष्णा आचार्य ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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