चावै मन
इण चितार री बेळा में
मधुर कंठा सूं
गीतड़ा गाऊं मायड़ रा
म्हारै हिवड़े उठै हिलौरां
भाव भर्या मन में इतरा
डबडबावण लाग्या नैण
रूंध्यौ गळौ ,मौन व्हैग्या बैण
नेह उमड़ियौ इतरौ मन में।
धरा माथै सुरंग रौ आणंद
मायड़ थारै पांण मिळै
धरती माथै टाबरां सारू
सुख रौ मोटौ आसरौ
पण है जगत विरांण
जठै नीं व्है मायड़ रा गान
मां सूं इधकौ सरूप
संसार में नी होणौ है।
मां छोड़ सुख री कामना
करै साधना
जळा आपरै अतंस रै दियै
जगावै म्हारै जीवण री जोत
मां रा मधुर गीत गुंजार सुण
म्हां सुपना घण देखिया
साच करण म्हारा सुपना
वां करिया जतन दिन रेण।
जीवण भर म्हँ कूंकूं सूं पूजा
पण मायड़ रै रिण सूं
नी व्है सकां उरिण
मिठयास सूं भीनौ मां रौ
ममताळू आंगणौ
म्हारी सिरजणहार रौ
रळियावणौ उणियारौ
इमरत भरी मुळक
मोतियां री आब ज्यूं
झिळमिलावती बोली मां री
अंतस में भरै उजैळा।
छाती सूं चेपिया जग मांय
राखै ममताळू मायड़
म्हनै नव जीवण दियौ
प्राणां में भरियौ हुळास
वा कितरौ लाड उमड़ायौ
म्हारौ जळम उण खातर
धरा जाणै सुरंग उतरौ
हेत हियै मायड़ भरियौ
कंठां आज नूवौ सुर लहरायौ
उमडतौ अंतस नैह उजास
बाथां भर लेती मायड़
जलम जलम री चावना
मिळै पाछी मायड़ थारी कूख
आ ही है म्हारी कामना।