म्हारी पड़दादी सिंच्यौ

आपरी आखी जूण बाड़ै आळो

कीड़ी नगरो

फेर सींच्यो म्हारी दादी

नित नैम साथै

आखी जूण कीड़ी नगरो

दादी रै सौ बरस पूग्या पछै

म्हारी माँ

सींचती रैयी है रोज दिनुगै-दिनुगै

कीड़ी नगरो

पण माँ !

थारै पछै कीड़ी नगरो

सींचीजसी के नीं सींचीजसी !

नीं ठाह !

स्रोत
  • सिरजक : पूनमचंद गोदारा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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