आपा री तो भासा रौवे

मानिता सारू मूंडो जौवे

संता री जिणमें तो वाणी है

रजवट रौ अठै दिखे पाणी है

साहितकारों री मरम परकटै

इणनै मानिता दिलावणी है

बोली तो सगळा नै मौवे

मानिता सारू मूंडो जौवे

ढोला मरवण री वा प्रीत अठै

गावीजै रंगीला गीत अठै

इण बोली में जीवण री आसा

है न्यारी नखराली रीत अठै

भासा मुरजाद रा भाव बौवे

मानिता सारू मूंडो जौवे

जौहर मांय क्षत्राणी कूदी है

वीरां री गाथा भी लूठी है

रंग रंगीलो मुरधर दिखै

अे सगळी बातां नीं झूठी है

मीठी बोली सगळा नै सौवे

मानिता सारू मूंडो जौवे

आपा सगळा आज हुंकार करां

संसद मांय जायनै पुकार करां

नगरों गांवों तांई मांग गूंजै

सब ओकट होय'र ललकार करां

सबदां रा मोती सगळा पौवे

मानिता सारू मूंडो जौवे।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : दीपा परिहार 'दीप्ति' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै