मूंघी मेड़ी-म्हैल चिणावै,कूड़ कपट सूं आंधा लोग!
धन-जोबन रो गरब दिखावै,भरमा में भरमाया लोग!
नशो करै नित-बहक्या डोलै,बीच-बजारां भूंडा लोग!
लूटखसौट मचावै निसदिन,लड़-लड़ मरै लुटैरा लोग!
खुद’ई खुद नै धोखा देवै,पांखडी-छळगारा लोग!
आंख्यां आगै रचा अंधेरो, हियै-तणा आंधळिया-लोग!
मिनख जमारो खोयां जावै,भूंडा अर बेडोळा लोग!
जूण-जुद्ध घमसाण मचावै,रळमिल नाचै नागा लोग!