रात री

हथेळी पर मेल्यो

अेक चांद

कीं तारा

कै

बाद में गिण’र

धर लेस्यूं

अंतस रै खूंजै मांय

रीसाणो सूरज

होयो लाल-तातो

खोस्यो चांद

गुड़ाया तारा,

बस

दो इज रैयग्या

आंख रै खूंजै मांय

आंसू होय’र।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : मोनिका गौड़ ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ
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