निरासा रा उफणता समद में पड़ग्यो हूं

डूबणो अेक मारग है

अर डूब रह्यो हूं

दुख रा इण विराट पारावार में

फगत थूं अवतार ले

हाथ में इमीघट लियोड़ी

हे अपछरा संभावना

आव

म्हैं गुळक्यां खावतो थनै भाळूं

हेलो पाड़ूं

पाछो जीव जाऊं

इण गत म्हारा सगळा सुखां विलासां में

छिप्योड़ी अे मोहिणी संभावना

तिणकला जैड़ी, फगत अेक सांस

रूप जोबन सिणगारां माथै बैठा पीणा सांप

थूं म्हनैं चेतावै

भरोसो देवै

थ्यावस देय सुवाणै

जोड़ै भावी री आंवळ नाळ सूं

आव म्हारै मन भुवन री लिछमी,

संभावना

म्हारै साथै रे।

स्रोत
  • पोथी : निजराणो ,
  • सिरजक : सत्य प्रकाश जोशी ,
  • संपादक : चेतन स्वामी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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