थारी बातां की

मिठास

को असर तो

देख

हर चीज

मीठी मीठी

लागै छै

बरस बीतग्या

सक्कर

बापर्यां

आज बी हलक

में

तासीर बण'र

बैठी छै

थूं

अर थारी बातां!

स्रोत
  • पोथी : बावळी - प्रेम सतक ,
  • सिरजक : हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष' ,
  • प्रकाशक : ज्ञान गीता प्रकाशन, दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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