पैलो

छोरी
मुळकै है
आरसी में देख’र
आपरो उणियारो
अर फेर
देख’र आपरी छियां
हुय जावै उदास
अर गिणै
आपरी उमर रा बरस
अर जोरव’र
आपरो काण-कायदो
छोरी
सोधती रेवै
आपरै हुवणै रो साच।


दूजो

छोरी रै मांयनै
चालतो रेवै अेक जुद्ध
हर घड़ी हर वगत
अर छोरी
आंख्यां में सपना टांग्या
जूझती रेवै
साच सूं
अेक आकास री खोज में।


तीजो

बरतण मांजती वगत
छोरी बांचै है
आपरी तकदीर नै
हाथ री लीकळचा में
अर सोधै है सपना
उच्छाव समेत;
सपना सूं जाग’र
छोरी भींच लेवै मुट्ठी
अर अमूंझ’र
धोय न्हारवै हाथ
राख सूं
छोरी रै आंतस में
धुकै है अेक सूरज
अर छोरी
सूरज री आस में
तपती रेवै रात दिन।
स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : मदन गोपाल लढ़ा ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
जुड़्योड़ा विसै