हां, ठीक देख रैयो है थूं

वो गळो दबा रैयो है थारो

थनैं अरड़ावणो चाहीजै अबै,

पण बेटा!

अरड़ासी कियां

मुंडो खोलसी

कीं बोलसी

तो वो बारै आय जासी

जिणनैं साबत

गिटण री आफळ करी थूं।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : कुमार अजय ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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