म्हूं तो कुछ नी बोलूं
म्हूं तो चुप हूं साहब,
बाहर सूं दीखूं—
भीतर सूं घुप हूं साहब।
दड़ बोच्यां बैठ्यो हूं
डरतो तलवारां सूं।
मीठो खरबूजो हूं
कट जासूं धारां सूं।
थे बलती तीली माचस री
म्हूं तूड़ी रो कुप हूं साहब।
थे म्हारी किस्मत रा मालक
थे कहद्यी सो ठीक।
हुकम-हजूरी गोल-चाकरी
म्हां हाथा री लीक।
चौकस-चतुर फील्डर थे, अर
म्हूं सीधो सो चुप हूं साहब।