दुखभरी आवाज सूं म्हे, आज बोलां छां।
जोर की ललकार सूं म्हे, आज बोलां छां॥
बोल्या बोल्या ठाठ सूं म्हे, सारी रचना देखली।
देखता म्हे धापगा जद, आज बोलां छां॥
पिसतां पिसतां आज ताईं, म्हां को चुरकट हो लियो।
फाटगो यो काळजो जद, आज बोलां छां॥
मांयली तो मांय म्हां कै, बारली बारै रही।
कुरळावै या आतमा जद, आज बोलां छां॥
टर्रकटम ऊपरलो बोल्यो, बिचला कै तो खुसी न गम।
निचलां छां सो 'दबै तो हम', म्हे आज बोलां छां॥
जूती सूं चिंथ जावै जद तो, माटी भी माथै चढ़े।
आखर तो छां आदमी म्हे, आज बोलां छां॥
चोरी अर सिनाजोरी थांकी, सारी दुनियां देखली।
थां का हिया की फूटगी सो, आज बोलां छां॥
चोखा छां अर भोत सारा, ताकत पण बिखरी हुई।
ताकत को अंदाज कर म्हे, आज बोलां छां॥
चाली जतरै चाल लीनी, अब नहीं या चालसी।
दीखै कोनी चालती जद, आज बोलां छां॥
भोत होगी भोत होगी, अब थे आंख्यां खोल ल्यो।
नींतर थे पछतावस्यो म्हे, आज बोलां छां॥
उळटैली अर थांका माथा, ऊपर हो कर जायली।
सुणल्यो या चेतावणी म्हे, आज बोलां छां॥