आभो

आज घणो खुस है

बादळां री फौज नैं भेज

मरुधरा री तिरस नैं

बुझावण खातर

हुकम दीन्हो

आज धरा रा

सुपना पूरा हुवैला

नाचैला मोर

गावैला पपैया

कोयल री कहूक

उठावैली हिवड़ै मांय हबीड़ा

कांई ठा

किणरी अरज सुणी

म्हारो सांवरियो।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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