म्हारो मन लूटी’ज भी

दुवा ही थानै देवै !

करयो जियां छळ म्हारै सागै,

कठै,कुण इयाँ करै!

बखत रै सागै भरै सगळा घाव...

पण कोनी भरै बो घाव

जिको कोई आपणो देवै..!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : अनिता सैनी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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