म्हारो मन लूटी’ज र भी
दुवा ही थानै देवै !
करयो जियां छळ म्हारै सागै,
कठै,कुण इयाँ करै!
बखत रै सागै भरै सगळा घाव...
पण कोनी भरै बो घाव
जिको कोई आपणो देवै..!