म्हनैं दिनूगै उठतां पाण

माचै री दावण खींचणी है।

पैलड़ी तारीख नै हाल सतरह दिन बाकी है,

पण बबलू री फीस तो भरणी पड़ैला।

जोड़ायत सागै एक मोखाण साजणो हुसी

अर कालै डिपू माथै केरोसीन भळै मिलैला।

म्हैं सुणी है कै

ताजमहल रो रंग पीळो पड़ रैयो है इण दिनां।

सिराणै राखी पोथी री म्हैं

अजैं आधी कवितावां बांची है।

स्रोत
  • पोथी : म्हारै पांती री चिंतावां ,
  • सिरजक : डॉ. मदन गोपाल लढ़ा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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