आखी दुनिया थर-थर धूजै

उत्तर कोरिया रै तानासाह किम जोंग रै नांव सूं

काईं ठा कद सटक जावै दीमाग उण रो

अर बो चला न्हाखै परमाणु हथ्यार

छिणैक मांय सिलिकॉन वैली सूं लैयनै

बुर्ज खलीफा री गत हुयज्यै

हिरोसिमा अर नागासाकी सूं भूंडी

पण—

म्हूं जाणूं हूं केई मिनखां नै

जिकां किम जोंग सूं खतरनाक है

उणां कनै परमाणु बम तो नीं है

पण जलमतां उणां नै मिल जावै

खुद रै ऊंची जात रा हुवणै रो हथ्यार

थे इण नै बिरमास्त्र कैय सको

क्यूंकै—

खुद नै बिरमा रै मुंडै अर हाथां सूं जलम्योड़ा बतावै वै खुद नै

वै भींटिजै म्हारै परस सूं

उणां रै मिंदरा रा दरुजा कद नीं खुलै म्हां सारू

वै नीं कर सकै सै‘न

बींद बण‘र म्हारो घोड़ी चढणो

खेत-खाळां

नदी-नाळां

गळी-गुवाड़ सूं

दुकान-पोसाल ताईं

तैनात रैवै अे आतंकवादी

वै नित करै म्हारो मर्डर

म्हूं सांची कैवूं

म्हनैं किम जोंग सूं डर कोनी लागै।

स्रोत
  • सिरजक : बी एल पारस ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै