आज फेर व्ही म्हने केयो

थे लुगाया किण भांत री वेवो

वगर वात मूळकता

तो कदी अेकला माय

गीत गावती नजर आवो

कदी नुवी ओढणी ओडया

कांच माय आप ईज ने

निरखती निजर आवो

कांई है?

खुस वेवा री कई वज्या वेवे

तो म्हांने बी वताई दो

जिण ने सूण अर म्हूं

बी थाणे सागे मुळक सकु

म्हे उणरे

भोळपने

री ईण वात पे मूळकी

अर केयो

म्हां लुगायां नै

राजी वेवा रे वाते

घणी मोटी वज्या कोनी चावै

म्हां नान्ही-नान्ही

बांता सूं राजी वेया करा

नुवी मन पसंद रंग री

ओढणी

जद माथा ने ओढा

तो राजी वेय जावा

कदै वयरा सागे

रजनी गंधा री सोरम

कमरा माय आवे तो म्हें

राजी वेय जावा

कदी गमला मांय

नूवो फूल खिले

तो म्हें राजी वेय जावा

नान्हो टाबरियो भरपेट

रोटी खाय लेवे

तो म्हें राजी वेय जावा

म्हां लुगायां रे

राजी वेवा खातर

कणी मोटी

भारी-भरकम

वज्या री जरूत कोनी

कदी थे परेम सूं

वतळाई लेवो

तो म्हां राजी वेय जावा॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : शकुंतला पालीवाल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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