म्हारी लाडली

म्हासूं लेय'र पोथी

बोली—

पापा!

म्हैं भणसूं पोथी

म्हनै देवो।

बिलमावण नै उणनै

देवूं कोरा पाना

अर हाथ में झिलाऊं

कलम

वा करै

लीकलिकोळिया।

पापा!

म्हैं चिड़ी मांडूं!

चिड़ी रै साथै

मूंडै सूं निकळै—

आऽऽ आऽऽऽ री पड़गूंज

आभै मांय उडती चिड़ी

हियै रै हरफां माथै

मंडै लीकलिकोळिया

आऽऽ आऽऽऽ री पड़गूंज

आभै मांय चिड़ी रै मिस

उडारी भरती म्हारी लाडली।

स्रोत
  • पोथी : थारी मुळक म्हारी कविता ,
  • सिरजक : गौरी शंकर निम्मीवाल ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
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