दड़ां दूवड़ां दड़-बड़ देतो, भल आयो मेह पावणो
उतर दिशा में बदे बादली, धू पुरवाई बाजेजी,
खाखल चढ़ी ऊमटी आंधी, मधरो मधरो गाजेजी,
धरती हसे, सुरगों आभो, गावै मोर बधावणो—
दड़ां दूवड़ां दड-बड़ देतो॰ ॥1॥
खड़ी खेत में बाड़ बणावै, धण धोरे री ढाळ जी,
हरे खेत रा मीठा सपना, जाणे फूटे फाळ जी,
ऊकारो कर सांढ़ बुलाई, खोलण लागी दावणो —
दड़ां दूबड़ां दड़-वड़ देतो॰
कांधे घड़ो, हाथ में मो’री, आगे गोरी गाय जी,
छोटो बिछियो रम्मत घाले, फुर फुर हुरके माय जी,
गोदी बैठो किळके टाबर, हिवड़े हर्ष अमावणो —
दड़ां दूबड़ां दड़-बड़ देतो॰
काजळ काढ़ कळायण झाके, गोरी गू’घट ओट जी,
गळी बादळी लुळ लुळ आवै, वर्षे पाणी-पोट जी,
मोड़ो हुवै लड़ै घर सासू, कारण किसो बातवणो —
दड़ां दूवड़ां दड़-बड़ देतो, भल आयो मेह पावणो॥