अेक छोटौ सो गांव

गांव माय अेक छोटो सो घर

घर मांय अेक छोटो सी झूंपडी

अेक छोटी सी जगा भी

कितरी मोवणी अर मोत्यां मूंघी

हुय ज्यावै

फगत

सूनी आंख्यां वाळी

चिन्ता री लकीरां सूं

लीर-लीर हुयै उणियारै वाळी

बिवाई फाटेड़ी पगथळियां

अर खुरदरै हाथां वाळी

मायड़ रै परस पाय।

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : भारती कविया ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम
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