पंखेरूवा रौ कांईं
वै तौ दांणा रा कोडाया
कन भूख रा मारेळ
हर कठै ई
हर किणी दांण
आपरी चूंच फंसाय लै जाळ में
जाळ के जिकौ
जीव रौ झंझाळ
इणीज गत मानखा रौ कांई
वौ आपरी बांण पोखतौ
कन हयाती रौ मारेळ
जीवण सारूं
हर कठै ई
हर किणी दांण
जीव फंसाय लै खाल में
आ दोनूं रौ व्है सकै अेक ई हाल
पण ओ हाल, हर हाल में
मारग में नीं ढळे!
मौत रौ अखै मारग तौ
कदैई
कठैई...
किणीक छिण-पुळ नीठ
बगत रै बिसळैख बणै
आतमा रै आछै करम
संगाती री पैड़ी तांणी जावतौ
दीठ-अदीठ
प्रीत अर परमगत रौ गठजोड़ौ बांधतौ
बणै बयणसगाईअर लय में लीन व्है जावै
जद इज तौ
आ अरदास अखै
छळ-बळ मारग है कित्ता, तव हाथां करतार।
मारण मारग मौकळा, प्रीत बिना मत मार!