म्हैं दिनूगै घूमण निकळूं

साव नागा बिरछ

सड़क रै अेड़ै-छेड़ै पैरो देवै

म्हैं चिमकूं

म्हारै गैल हवा सूं उड़ता

पत्तां री सरसराहट सूं

म्हनै लखावै

मौसम आपरो रूप बदळै

तपतै धोरां रो मूंडो

लाल हुय ज्यावै

गरद सूं भरियोड़ै आकास सूं

टपकण लागै पसीनो

ठैर ज्यावै पंखेरू

अेक ठौड़

म्हनै लखावै

मौसम रो हियो अमूजै

धरती मदमाती

तेजो गावण लागै

उण रै रूं-रूं में चिमकै

सुरजी, चांद अर तारा

खेत हंसै अर

उणां रै डील री मरोड़

खितिज री लील सूं लिपट ज्यावै

म्हनै लखावै

मौसम जवान होतो होसी

थोड़ी ताळ रो साथ

साथ तो हुवै

पण मौसम कद धीमै पगां सूं

म्हारै नेड़ै ज्यावै

म्हनै ठा नी पड़ै

म्हारी हेली रा बारणा

खुला है रात अर दिन

थांरी आरती उतारबा सारू।

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन
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