उंदाळै री ऊनी अर सूनी बळबळती दोपार नै फटकारती
भाजती आवै ही सिंज्या...
अभागी दोपार में
घर सूं बारै निकळतो मिनख कितरो दौरो व्है
घबरावै अर पराहिये रा घाण छूटै'
दोपार ऊनी उसांस लेय'र सिंज्या
सामी पल्लौ मांड्यो
आपरा औगण अंगेज्या अर ढळगी
मिजाजण सिंज्या कसुमल चीर औढ्यां
माथै पर कूंकूं केसर री छाब लिआं
आरती रा टणकारा' र दिवलां री जोत लिआं
आभै सूं उतरी रूणंक झुणंक
नखराळी सिंज्या आथमतै भाण रै परसाव
लाखीणां भाग लिआं
आभै सूं उतरी रूणंक झुणंक
सिंज्या रा भाग देख'र दोपार रा नैणं
छळक्या
बळतौड़ा आँसूड़ा माटी में ढळक्या
जद माटी बात सम्भाळी...!
'थूं क्यूं रोवै उजळे दिन री धणियाणी'
आ तो अणजाण है आज तांई
के इण रै लारलै पल्लै मांय तो बैमाता अंधारो बांध्यौ है
च्यारां कानी हींगळू मजीठ ढोळती नै सेवट रै पाखी तो ढळणौं पड़सी
कितरीक जेज रो ओ बिणांव'र सिणगार
ऐ गाजा बाजा अर आ सुरंग मजीठ तो भलौड़े भांण रै परताप है...
भांण रै आथमतां ही अँधारा में अळूजता काळा केस लिआं
लुकियौड़ी बैठी रैवेला निरभागण मिजाजण
माटी री बात सुणतांइ
सिंज्या रौ मिजाज आंख्यां सूं ढळक्यौ'र माटी मांय मिळग्यो
माटी बात संभाळी
जद सिंज्या दौपार पाछी
पैली जियां इ गळै बाथ घाली।