केई जणा
कैया करै –
मन मारणो आवणो चाइजै
पण
मन मार्यां पछै
आपां रैय जासां?
इणनै मार’र
हत्या किणरी करी
अपणै आपरी?
केई जणा
कैया करै –
मन घणो उछांछळो है
इण माथै
लगाम राखणी चाईजै
पण मन तो मिनख री ई
सवारी करै।
आ सही है
मन सूं हारणो नीं चाइजै
पण
जीत भी कुण सक्यो
आज तांई?
इण वास्तै
इणनै मारो मत
ना लगाम लगावण री
जुगत करो
हारण-जीतण रो तो
सवाल ई कोनी।
अेक ई तरीको है
मन सूं करो
भायलाचारो
फेर देखो
ओ थासूं सीखसी भी
अर सीखासी भी।