गदेड़ा कने गाय बांदो तो सट्टे मइने भूकेगा।

वैरी हाते काम करो तो टगले-टगले रूकेगा॥

ओवळं-सोवळं कामं करो तो लूग तमने ठुकेंगा।

नानं मूटं गोड़ं वडं मुण्डा ऊपर थुकेंगा॥

जुई जासी ने हेण्डता रो तमे, मूती मउड़ वेणता रो।

दाड़े-दाड़े काम करो ने, रातरे नोटे गणता रो॥

बीजा हारू खांडो करो तो, खुद अेणा मय पड़ोगा।

खूटं कामं करी करी ने, वगर मौत ना मरोगा॥

वेद पेले मातु भेनाड़े, मातु गवड़तो रई जायेगा।

सूंशा वगर कामं करे, आदमी रवड़तो रई जायेगा॥

भाईयं हाते वैर करे, कारे फलीबूत ने थायेगा।

गाडे गाडे घणो कमणो, हके रूटलो ने खायेगा॥

मल्यो है के फेर मलवानो, मनक जनम हदारी लो।

पाप ना भारा सूड़ी दईने, थूड़ुक पुण्य वदारी लो॥

आपड़े आते तरता रो तमे, आमना उमना फरता रो।

मन नी उपजी भले करो, पण सबने हाते भळता रो॥

मनक ने खूळिये जनम लई ने, मनक परतेम रेजू रे।

ओके मौके अली मली ने, सबने हाते बेजू रे॥

स्रोत
  • सिरजक : कैलाश गिरि गोस्वामी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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