मत असमंजस में हाल

मनड़ा आगै-आगै चाल

मत ना तूं थक-हार,

मत होवै तूं बेहाल

तेरी कमी घणी लोग गिणासी

बात-बात पै टोकाटोकी करसी

साग में लूण घणो बतासी

फाट्या में पग अड़ासी

उल्टी बात समझासी

चालती गाडी में बैठ जासी

नईं तो गाडी नै खटाळो बतासी

भासण तेरो बकवास बोलसी

कुरसी पै बैठ्यां सिलाम ठोकसी

मत लोगां की बात मन में राख

हिवड़ै की बात ले मान

आखी दुनिया को है दस्तूर

कर्योड़ा पै नाखै धूड़

हार मिल्या मत खा ताव

सांयती, सद्बुद्धि मिलसी

ईश्वर नै ले ध्याव

जे होवै कदै चित डांवाडोल,

मन-मगज की कुंजी खोल

मात-पिता गुरुचरण सीस ले धर

इत-उत कठीनै देख्यां बिना

चोटी पर जा चढ!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : इन्दु तोदी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि सोध संस्थान राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़
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