लै बोल!
म्हैं बेचूं ईमान, खरीदैला,
देवैला मूंडै मांग्या दाम?
जाणूं, थूं मोलाय राखी है पीढी
मेट दियौ फरक कतल अर आतमहित्या रौ
जीवतौ ई जीत लियौ सरग
बगत नै गोडा-लकड़ी दे—
पण भायला
आजकाल तौ बेमौत मरणौ भी कोनी मुफत-हकनाक
(मरियोड़ौ हाथी व्है लाख टकां रौ अर मानखौ)
उण रा भी मिलै दाम
हादसै, मौकै, आसामी या औदै री औकात पाण
अर म्हारै कनै तौ ले-दे है फकत अेक ईमान
या म्हारी जान
बोल, कांई खरीदैला
देवैला मूंडै मांग्या दाम
के पछै म्हैं खुद ई करलूं जुगाड़
अेक हसीन हादसै रौ
मरणौ तौ है ई अेक दिन
कांई फरक पड़ै
जे कोई बखत सूं पैला मरै...
यूं भी किसा बाटलै कोई चाम रा दाम
लै बोल म्हैं बेचूं ईमान ऊधड़ौ
कांई खरीदैला
जाणूं, नीं सजै थारै हींग री गरज
म्हनै तौ भायला मरणौ ई पड़सी
बिकण जैड़ा कोनी म्हारा भाग
म्हैं कोनी जिनस
ईमान रा कद कोई टका बटिया
जान
नीं चावूं तौ भी थारा फरजंद
चावै जद कर देसी किचरघाण
अर कचेड़ियां रै गोतां सूं अखताय
झखमार करसी राजीपौ
बाप नै अणमोल समझणी औलाद
आधी-ऊधी कीमत आंक
ईं सूं तौ आछौ है
मोलायलै म्हारौ ईमान
थारै मरजी आयै मोल
के म्हैं म्हारी मनचायी मौत तौ मर सकूं
बोल! खरीदैला म्हारौ ईमान
म्हैं बेचूं पूरै होस-हवास में
पण जाणै के भूत मरियां पलीत जागै
अर थन्नै लांपौ देवण वाळौ
जलम तौ गयौ व्हैला।