म्हनै गारा को एक ढोबो भर्यो

अर मे पटकद्यो पाणी

कै जावै म्ह लोच

अर रखाण द्यो उन्है खुला आसमाण कै नीचे

लगबा दी हवा

लगबा द्यो तावड़ो

पाँचों तत्व होता सता बी केई बरस बीतग्या

आयो म्ह जीव

अर या बावली दुनिया हाल बी जाण पायी

अस्याँ बण जावै गारो

रुख़, चड़कल्याँ अर मिनख।

स्रोत
  • सिरजक : किशन ‘प्रणय’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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