मन रो ही करियो

जिको हो

जित्तो हो

मन रो हो

मन सूं हो

मन थांरो हुयग्यौ

अब थां सूं कांई लुकाऊं

कांई बताऊं

अर

कांई तो पूछूं?

स्रोत
  • पोथी : पैल-दूज राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : सीमा भाटी ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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