म्हारी जंग

गरभ रै भीतर

हुज्यै सरू

उण टैम

बचण री

अरदास करां

आप सूं

पछै

धरती माथै

केठा कित्ती बार मरां

अर

आपरै मन री बात

कैवण सूं डरां।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : ऋतुप्रिया ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै