जीभ कटायां क्यूंकर बैठ्यो, भेद हियै रो खोल बावळा।
मन री पीड़ां मन में पाची, अब तो मुंडै बोल बावळा॥
कुण भारत रो मोटो भीरी, कुण भारत रो रखवाळो।
कुण भारत री जड़ काटणियो, कुण भारत पर मरबाळो।
कुण भारत पर भार बण्यो है, कुण भारत नैं खैचणियों।
साची बात बता दे अब तो, बोल सबद नैं तोल बावळा।
जीभ कटायां क्यूंकर बैठ्यो, भेद हियै रो खोल बावळा॥
तूं भारत रा भाग लिखणियो, तूं भारत रो मोबी पूत
धान उगावै देस बंचावै, म्हेल चिणावै बण तूं दूत
तूं हाथां बोपार चलावै, भूखां रो तूं पेट भरै
मिलै न दाणां लफभर थां'नै, टाबर थारा भूख मरै
भोळप सगळी भूल हियै री, समझ सांवठो मोल बावळा।
मन री पीड़ां मन में पाची, अब तो मुंडै बोल बावळा॥
वोटां रो जद टैम पड़ैलो, नेता नीचा लुळ आसी
हाथ जोड़ डंडोतां करता, थारै पेट में बड़ ज्यासी
रिपिया दारू लाळच देसी, बणसी थारा खासमखास
जीत जाय कुरसी नै खे'सी, मरसी थारी झूठी आस
पांच बरस नै पाछा आसी, आं नै लाधी पोल बावळा।
मन री पीड़ां मन में पाची, अब तो मुंडै बोल बावळा॥
सीयाळै री रातां में तूं, खेतां में जद फिरतो फिरसी
पाणत करसी फसलां मांही, पाळै में तूं सीयां मरसी
खेत सूडसी गिरम्यां में जद, सूरज भी आंख दिखावैलो
चोटी सूं चटको चालैलो, तूं बिन पाणी रै न्हावैलो
कुण मैणत समझैलो थारी, पीट मोकळा ढोल बावळा।
मन री पीड़ां मन में पाची, अब तो मुंडै बोल बावळा॥
पढणो लिखणो गुणणो भणणों, मोटी धार समझदारी
लाळच लारै कदै न बिकणो, हिम्मत सूं कीमत थारी
तूं ही थारो सागण साथी, क्यूं धोवै औरां रा पातर
मिलै न जद अधिकार हेत सूं, पड़ै खोसणां पीढ्यां खातर
संतू थारै सागै सगळा, हिम्मत री जै बोल बावळा
मन री पीड़ां मन में पाची, अब तो मुंडै बोल बावळा॥