घड़ी आवती, घड़ी जावती

सांसा उतरे'ने चढ़ती जावती

टैम कटे'ने नेह खूटे

आंख्या टप-टप टपका पाड़ती

वरस वीत्या रे! आया कोनी

बीज बोवणा बोया हा

रूंख सरीखा होय गया

कोयल कुंके बैठ वणा पे

हियो म्हारो हुलसावै रे

थें कद आओ' रा मीत मन रा

मन घणो हलकावै रे

मेंदी'पाटला,सिणगार

सारा होगन आइग्या

इण सूना हाथां में

कद प्रीत मांडणो मांडोगा

थेगरा-थेगरा लूगड़ी होगी

नूवीं कद ले'र आवोगा

काजलिया री रेख खूटगी

मांग राती खातर वलका पाड़ती

चांदड़लो चढ़ता देख ऊपरे

हियो घणो हुलसावै रे

थें कद आओ'रा मीत मन रा

मन घणो हलकावै रे

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : किरण बाला 'किरन' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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