मैं कद ई झांझरको कोनी देख्यो
मनै कोनी ठा
सुधियां-सुधियां
चिड़ी कियां बोलै
बादळ किस्याक लागै
मैं कोनी जाणूं
सूरज कियां रंग बदळै
पल-पल बधतै
बगत रै सागै।
आज तेरै सागै मैं झांझरकै उठ्यो
तूं कैयो, बादळ देख
मैं तनै देख'र बादळ कानी देख्यो
बादळ जमा काळो
तेरै बाळां बरगो
तूं कैयो, मोरणी बोलै,
मैं कान मांड्या
कोई फरक नीं लाग्यो
तेरी अर मोरणी री बोली में
तूं कैयो, घास देख कित्ती हरी है
मैं घास कानी देख्यो तो
लाग्यो, घास मेरै बरगी है
लाग्यो जाणै कोई मरवण मिली है
आपरै ढोलै सूं
तूं कैयो, सूरज देख
मैं सूरज देख्यो
लाग्यो कै मेरी कोई बात पर
लाल होयोड़ा तेरा गाल
आभै रै चौबारै जा बैठ्या
जठै चौबारै री मंडेरी ब
मंडरावता हा बादळ!
थोड़ी ताळ पछै उजास होयो
मैं तेरै सागै झांझरको जोवण आयो
तूं कैया करती, भोत सूणो होवै
पण तूं कूड़ कैवती ही
मनै तो झांझरको कठै ई नीं दिख्यो
दिखी तो फगत तूं
झांझरकै रै मिस
कुदरत में रळ्योड़ी।
झांझरकै रो तो ठा नीं लाग्यो
हां, तूं घणी ही सूणी लागी
अेक बात और बता दयूं
मैं
कद ही झांझरको कोनी देख्यो।