चालो..
चालो थे बीज बण जावो
मै माटी बण जाऊं!
फेर...
फेर थारै मांय स्यूं फूट’र
मैं बण जास्यूं एक पोधौ...
अर
पछै एक फळदार रूंख..!
इयां आपां दोनू रो
अस्तित्व बण्यो रैसी
इण संसार मांय..
आपणे दोनू मायं सूं
एक रो नि होणो
अस्तित्वहीण होणो है
इण जगत रो...
चालो थे बीज बण जावो
मै माटी बण जाऊं!