बापू

थांकी चरणपादुकावां

अेक बखत

माथा सूं लगा'र

पाछी धर दी

जसी की तसी

जनता

भरत होबा में

जाणै कतना साईका

ला'ग जाणा छै हाल

पण

थांकी ओळ्यूं कराती

थांकी बातां

थांकी चसमा

थांकी लाठी

थांकी धौवती

अर

थांकी चरणपादुकावां

केई

मनख्यां कै लेखै तो

हाल बी

जिनगाणी का

च्यार धाम छै बापू।

स्रोत
  • पोथी : बापू-अेक कवि की चितार ,
  • सिरजक : ओम नागर ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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