चोर-चोर! कूक्यां सूं

नीं पकड़ीजै चोर

काच साम्हीं जावां जणै

निजरां नीची हुवण रो

मतलब कांई होवै

थूं जाणै है?

सुण, काच मुळक’र

ईज तो कैवै है–

म्हासूं निजरां कांई मिलासी

जिको आपरै मांय बैठ्यै

चोर नैं नीं पकड़ सकै

रूस ना म्हारा भायला

कै तो काच फोड़ दै

कै पछै चोर पकड़लै।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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