मां री कूख

कद छळ जण्यो

मां जद भी जण्यो

मानखै रो बळ जण्यो

माटी ज्यूं उदार

पाणी ज्यूं दातार

ज्यूं हेत रै आलीड़ै तांण

खोड़ मांय रूंख पळ्यो।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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