अणकूंत है मां रो हेत
जिको नीं तोल्यो जाय सकै
अर नीं बखाण्यो जाय सकै
मां-ई देवै आकार
मिनखा देह नै
किणी कहाणी रै
कलाकार री दांई
घड़ै माटी रो खिलूणो
अर भरै वीं मांय प्राण
आपरी भगती अर सगती रै पाण
पण इण सूं पैलां
के ओ खिलूणो चालै
अर हरखावै
आखो घर-आंगण
मां खुद लेवै
कैयी बरियां जलम
करै सामनो
होवणी सूं
पण आखा दुख भूल जावै
बिसर जावै
सगळी पीड़
जणां देखै
कै वीं रा सुपना
होयग्या साचा
हरी होयगी वीं री गोद
अणकूंत है मां रो हेत
मां कणै करै
आपरै सरीर री फिकर
कणै देखै
तातो अर ठंडो
सूखो अर आलो
खुद रै सारू
बिताय देवै आखी रात
अेक पसवाड़ो लियां
जागती आंख्यां
धोकै
भोमिया अर भाखर
मनावै देई-देवता
करै अरदास
सेवै झाड़ागर तांईं
अर राखै आस
अणकूंत है मां रो हेत
इयां ई भरती पांवडा
अर मेलती पगलिया
बगती रैवै मां
अर मां री जिनगाणी
बडो हुवतो जावै
मां रो खिलूणो
अर पसरता जावै
वीं रा सुपना
पण ओ कांई
चाणचुकै लागग्यो विराम
मां रै
बधतै सुपनां माथै
देखतां-देखतां
खिलूणो होयग्यो परायो
जिकै री चाबी
अबै नीं है मां कनै।