गणगौर का बिंदोरा में

म्हारे सागै नाचती-गांवती मा

छोरी सी बण ज्याती

मा अचाणचक

भूल जाती सारो

दुख-पीड़ अर घूंघट पल्लो

सिणगार कर्‌योड़ी

अर मनड़ै मैं उछाव भर्‌योड़ी

मा,लागती घणी सोवणी

सैका'ई मनड़ा नैं मोवणी

सांच्यांई,कदै-कदै तो लागै कै

माटी सूं सिरजेड़ी गणगौर

लुगायां का हिरदा रा बीच्याव नैं

जींवतो राख लेवैं

जिका नैं मार'र बा री

मनस्या मिनख रा मन में

बरसां सूं पळयोड़ी रैवै।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : मोनिका शर्मा
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