मां  : अेक

मां मांग्यो म्हनै
भोलानाथ सूं
राख्या बरत
अर
करी तपस्या
भूखी रैय'र
म्हारै जळम पछै भी
मां तो रैई भूखी ई
कदै ई म्हारै
बीमार पड़न पर
चिंता में
तो
कदै ई म्हारै
रूस'र रोटी नीं खावण सूं।
आखरी बगत भी
म्हूं नीं भर सक्यो
मां रो पेट
क्यूंकै
बधती मैं 'गाई में
म्हारी प्राथमिकता
म्हारा टाबर हा
मानी ही।


मां : दो

इस्कूल नीं जाण सूं
नाराज हुई मां 
रीस में
मार्‌यो चींपियो
दर्द तो म्हारै हुयौ
पण रोई मा
घणी देर तांईं
मां नै
क्यूं हुयौ दरद ?

मां : तीन

म्हूं जद
हुवण लाग्यो जुवान
मां रोज ही करती कोड
ल्यास्यूं इसी बीन्नणी 
कै सारो गांव देखसी।
बीन्नणी तो आई
गांव भी देख्यो
मां नै अेकली खटती।
मां तो ल्याई बीन्नणी
पण बीन्नणी
मां रै लाल नै ई लेयगी।

मां: च्यार

बालपणै में
मां  री
आंख रो तारो होंवतो म्हैं
बाई सूं पै 'लीं
पूरी हुंवती म्हारी जरूरत।
आज जद
मां  नै हुवै
म्हारी जरूरत
तो म्हारै सूं पै 'ली
हाजिर हुवै बाई।

मां : पांच

जद भी जांवतौ सैर
ताकती रैंवती
मारी आंख्यां
बारणै कान्नी
म्हारै पाछो आवण तांई।
म्हनै लागतो
कै घर सूं बारै भी
म्हारो कित्तो
ध्यान राखै मां।

मां : छै

जद भी पड़तौ बीमार
मां नै
नींद नीं आंवती
म्हारै इलाज सारू
मां कर देवती
आपरी कई जरूरतां रो त्याग।
आज
मां बीमार है,
म्हानै कींया आवै नींद?
नीं... नीं... नीं...
चिंता मां री नीं है।
चिंता रो कारण तो
डॉक्टर री फीस
अर मैं'गी दवायां है।
अबै दवायां ल्यावां
या करां
टाबरां री जरूरतां पूरी।


मां : सात

मां 
सुरग
सिधारगी।
बेटां कर्‌यो करम
खर्‌यो कर्‌यो हजारां में
जीमाया बामण
अर पंचायत रा मिनख।
अंक कूणै में
पड़ी रै'यी बा बाटकी
जिण में
मां पींवती चा।
हाथ नीं लगायौ कोई
कै मां री बीमारी
नीं होवै कठै ई
इण बाटकी में।

मां : आठ

मां काढती
पैली रोटी
गा री पांती
मारै जावण पछै
कई बार
घर आळी भूल जावै
गा री पांती री
रोटी काढणी।
बीं दिन
म्हनै लागै कै
आज फेर भूखी रै'गी मां।

मां : नौ

मंगळ नै
नीं बणाणी दाड़ी
अर
बिस्पत नै
लगाणौ कोनीं साबण
आं पाबंदियां रै सा
मां 
म्हारै खातर मनाया
कितरा-कितरा देवता।
म्हू सोचूं
अबै मां ई कोनी रै'ई
म्हारा तो देवता ई रूसग्या।

मां : दस

बीज जद धरती सूं
फूट्यौ बण'र अंकुर,
म्हानै सुणन लाग्या
मां री लोरी रा सुर
तिरसी धरा माथै
जद बरस्यौ मेह,
म्हूं भीज्यो
ममता रै नेह।
तपती लू में
अचाणचक चाली पून,
जद चिड़ी दूर सूं ल्या 'र
बचियै नै दियो दाणौ,
म्हानै याद आयो
मां रो लाड लडाणौ।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : कृष्ण कुमार 'आशु'
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