अफवा अर झूठ

मा जाई बैनां है

दोनूं सांच री

है दुसमण।

अेकल हुय’र

समै-समै माथै

करती रैवै हमलो

अर भागती-कूदती

नीं होंवता थका ईज

हवा मांय च्यानणै दांई

पसर जावै दोनूं बैनां

असवाड़ै-पसवाड़ै।

इण अभागी बैनां रै

पग नीं हुवै

अर नीं ईज हुवै

लाम्बी जिंदगाणी

होळै पण पक्कायत सूं

बगतो सांच

छेकड़ मोस काढे गळो

इण दोनूं बैनां

अफवा अर झूठ रो

क्यूं कै इणां रै

पग नीं।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : श्याम महर्षि ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
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