म्हैं गांव रा गंवार

कांई जांणूं प्रेम री परिभासा,

उण रौ बणाव,

प्रेम रौ चितराम तौ

थां ही बणायौ-नगर आळां।

म्हारै घरां री चिड़कली,

म्हारै घरां री बाछड़ी,

अर म्हारै घरां री पाळियोड़ी

मिनकी छोड़'र जावै संसार

तो घर वाळा कोनी करै

सोरै सांस अंजळ,

मूंडौ उतार लेवै नैना बाळ अर

भींतां माथै उतर आवै गैरौ मून,

म्हैं गांव रा गंवार,

म्हैं नीं जाणां के प्रेम कांई हुवै

अर किण गत हुवै।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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