रै बावळी क्यूं है तंग

लै सुण म्हारो मोरचंग

जे जमतो लागै रंग

अर कांप उठै अंग-अंग

तो ठोक ताळी'र कर संग।

कर संग म्हारो अर देख

व्है जावां अेक अर अेक अेक

क्यूं जोवै हाथां री रेख

आपां ही लिखां ला आपणां लेख॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : सुरेश कुमार डूडी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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