अखण्डता रो प्यारो दिवलो

जगसी सारी रात,

अन्धिमारै नै दूर भगासी

आवैलो परभात।

अज्ञान, गरीबी पिछड़ेपण नै

जड़ामूळ सूं खोवैलो,

भारत नै विकसित श्रेणी में

म्हारो दिवलो जोवैलो।

जात धरम रै गाडै मैळां नैं

प्यारो दिवलो धोवैलो,

आतंकी भ्रष्टाचारी नै

कूंट कूंट में टोवैलो।

सूखै अर करड़ै टेमां री

कटसी काळी रात

भारतवासी मंगळ गासी

तद होसी परभात।

अखण्डता रो प्यारो दिवलो

जगसी सारी रात

अन्धियारै नै दूर भगासी

आवैलो परभात।

स्रोत
  • पोथी : बदळाव ,
  • सिरजक : रामनिरंजन शर्मा ‘ठिमाऊ’ ,
  • संपादक : सूर्यशंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर
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