पूरै बारै बरसां

यशोधरा

उकाळती रैयी

अंतस री पीड़

मान-अपमान रै

चूल्है माथै

कुचरती रैयी

दिन-रात

मन रै काचै घावां नै

राखणा चावै ही बा

बांनै हरा

तथागत रै बावड़ण तांई

पण तथागत

इणी बारै बरसां मांय

साध्यो आपो आपनैं

मन रै द्वंद्वात्मक

हींडै माथै हींडता

टिकग्या अेन बिचाळै

काम- क्रोध,मद-लोभ

अर मोह रा कांटा

काढ न्हाख्या

बारै बारी-बारी सूं

समै तो सिगळां कनै

अेक जिसो हुवै

पण कोई कांटा पणपावै

यशोधरा तांई

अर कोई सोध लेवै

अंतस मांय इमरत

तथागत दांई

किंया वापरै मिनख

बगत नै

मिनख री

आपरी सुतंतरता है।

स्रोत
  • पोथी : कंवळी कूंपळ प्रीत री ,
  • सिरजक : रेणुका व्यास 'नीलम' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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