कांई हुयग्यो

उडग्या थारा तोता

साच साम्हीं आवतां

इयां ईज हुवै

झूठ अर चोर रा पग

काचा हुचा करै।

साच चुप रैवै

हाको नीं करै

धोळो धक हुय जावै

कूकतो-कूकतो झूठ

नीं ठाह पड़ै तो

काच देख कदैई।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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