काळजै री कोर सा,म्हारे जीवण री डोर सा

दिन उग्या सियाळै री,उजळी सी भोर सा

आज विदाई देवा, शुभ घड़ी है फळी

लेती जा सीख मारी लाड़ली चिडकली।

संसारी रीत सा, मायत री प्रीत सा

आंख्या में आंसुडा, हरख रा गीत सा

मिसरी सी मीठी मारी, गुड़ री थूं है डळी

लेती जा सीख मारी लाड़ली चिड़कली।

एक दीठ जोवे सारी,सखियां सहेलियां,

ज्यारे सागी सगळी,रमता है खेलिया,

रमता पुरानी छोड़ सासरिये है चली

लेती जा सीख मारी लाड़ली चिड़कली।

मायड़ केवै बेटा, राखजै मारी लाज

सासरिए में बाईसा, लेजो जस काज

गुमेज करू इन बागा री थू कली

लेती जा सीख मारी लाड़ली चिड़कली।

बाबोसा री आंख्या में, आंसुड़ा ढळकै

सुख सु रहजे राजी, आशिषा पळकै

कालजे री कोर ज्या, आंगने है पली

लेती जा सीख मारी लाड़ली चिड़कली।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : शंकर दान चारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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