तीखो पाळो उठतो अर घिरतो
जाणै अेक रींछ घायल
फोन्तान्का रै सायरै, बरफ गाड्यां
तीखी डांफर री कायल।
तीखा मोड़ां रा मारगां
जम्योड़ी धरती में काटै खाळ।
किण री है बोल्यां अर हंसो
जिको गूंजै है हाल?
“सौगन खावतो म्हारै काळजै
हाथ हूं राखूं
मेल दो थारी मोटै फाल आळी तरवार!
ईयां हूं भाखूं।
इसै दळ सूं टकराव
जिको इसी रीत हालै,
थारी नईं तो दूजां री खातर
थारो जीव दया धारै।”
धोळा खुर तिसळती बरफां
पीटै अर कूटै
लित्येनी मारग माथै छायां नाचती टूटै।
मूंघा मींत, म्हारो उथळो ओ है—
अबै चूकण रो बखथ नईं रयो है।
जोखम तो सूग करण जिसी
कोई थमो चावै बात किमी।
जोखम घणी भूंडी अर लजावणी
म्हारी गुलामी में दाकळै
जद थारी सूरत में ऊमर झांकै
अर थारा केस अूजळ।
हे, थारी तरवार तरवार खणकै
बेगी आ बात बणै।
म्हारो काळजो तो आजादी रै सरणै।
लाल गुलाबी होठां
अर कड़ियां सावळ दबायां
हे, लीला हुसारां,
थारो भाग थे अबै परखाया।
बै अठै ई है, बै नईं लुक्या,
नई मर्या।
पाछा, सराय—ओरड़्यां,
लगावै दाव तकदीरां
गाभा छेड़ै नाख्यां,
रात बीतै मस्त्यां
आवै, लाल सुरा उफणन दो
प्याल्यां में छळकती।
पीवो छक’र अर हुवो घणा गैरा।
आ बात भली लागै।
मोजां लो नुंवां भायलां खातर,
भाईपै दिखणादै!
सूती सारंग्यां
अर मोटी बात, अेक चिलको फकत...
किण रो बै भौ मानै?
अर कईं बां री भावणगत?
उफणती प्याल्यां ज्यूं
बांरी आतमावां हरखै
जिप्स्यां रै गीत रा अंतरा गूंजै,
अब पैलपोत जगै।
लियेसनी रै सायरै फेर छायां
फेरूं नाचण लागी।
महलां नैं दाकळती,
टोप्यां हेठी भंवां तणन लागी।
तावळा, ओ घोड़ियां!
बातां अबै बिसरणो।
दिनूगै रो माथो हुवै
सिंझ्यां सूं समझणो
ओ कईं? ओ कईं?
आ राग आवै जावै?
धोळी भुजावां लांबी
भलां, थारा सीस सुस्तावै।
अर बोली री सारंग्यां,
जमो परी कांपती हवळां
सै लीलां हुसारां तणी
बरफ रै सोवो तळां।